"अलविदा टेपरिकॉर्डर / अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनूप सेठी }} <Poem> तुम्हारा साथ रहा लँबा और भरा भरा ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
− | तुम्हारा साथ रहा | + | तुम्हारा साथ रहा लम्बा और भरा-भरा |
− | उछाह के | + | उछाह के वक़्तों में मिले थे |
अवसादों की तलहटियों में सुर मिलाते रहे | अवसादों की तलहटियों में सुर मिलाते रहे | ||
सुनाया तुमने जीवन का लगभग हर संभव संगीत | सुनाया तुमने जीवन का लगभग हर संभव संगीत | ||
− | प्रेम में डूबे दिनों में | + | प्रेम में डूबे दिनों में ग़ज़लें सुनीं इतनी बार कि |
मेंहदी हसन का गला बैठ गया | मेंहदी हसन का गला बैठ गया | ||
नींद उन दिनों उड़ी रहती थी | नींद उन दिनों उड़ी रहती थी | ||
− | तुम रोमानी | + | तुम रोमानी लोरियाँ बन बजते थे |
थे तो तुम बाजा पर झँकृत होते रहे कोई बीस साल आत्मा के आसपास | थे तो तुम बाजा पर झँकृत होते रहे कोई बीस साल आत्मा के आसपास | ||
− | तुम्हारी | + | तुम्हारी वफादारी के नाम पर दो बोसे आज तुम्हारी इस बजर हो चुकी देह पर |
− | धीरे धीरे तुम्हारा | + | धीरे-धीरे तुम्हारा स्नायुतन्त्र जाम हो रहा था |
हमें तब भी पता न चला जब बच्ची की पहली किलकारी | हमें तब भी पता न चला जब बच्ची की पहली किलकारी | ||
− | तुम्हारे हिरदे पर | + | तुम्हारे हिरदे पर अंकित की |
− | तुम जमा करते रहे | + | तुम जमा करते रहे हँसी और रुदन, तोतली बानी, खुलती जुबान, |
नर्सरी राइम और मुक्त मस्त गान | नर्सरी राइम और मुक्त मस्त गान | ||
− | माह दर माह साल दर साल | + | माह-दर-माह साल-दर-साल |
हमारी बेटी हमारी जान की | हमारी बेटी हमारी जान की | ||
− | + | आवाज़ की वसीयत हमारे नाम की | |
− | और | + | और ख़ुद कोमा में चले गए |
− | + | हमसफ़र एक वक़्त का राजदार ज़िन्दगी का | |
अल्मारी के ऊपर ले जा बिठाया गया | अल्मारी के ऊपर ले जा बिठाया गया | ||
कबाड़खाने में नन्हा खरगोश पड़ा रहा बिसूरता | कबाड़खाने में नन्हा खरगोश पड़ा रहा बिसूरता | ||
हमारे मामा के घर एक कामा था | हमारे मामा के घर एक कामा था | ||
− | छोड़ चला जाता रहा बार बार बिफर कर चाकरी से | + | छोड़ चला जाता रहा बार-बार बिफर कर चाकरी से |
अपने पैरों पर खड़ा होने | अपने पैरों पर खड़ा होने | ||
लौट आता रहा मजबूर हर बार | लौट आता रहा मजबूर हर बार | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
जा पड़े रहे छोटे बड़े शो रूमों गली के खोखों की अल्मारियों में धूल फाँकते | जा पड़े रहे छोटे बड़े शो रूमों गली के खोखों की अल्मारियों में धूल फाँकते | ||
पुर्जे बदलवा कर पेच कसवा कर डट जाते रहे | पुर्जे बदलवा कर पेच कसवा कर डट जाते रहे | ||
− | तान अलापने अपनी | + | तान अलापने अपनी साँस भर |
− | अपने | + | अपने वक़्त के सुन्दर-सुडौल सुकोमल मॉडल |
− | इस अवस्था में भी आन | + | इस अवस्था में भी आन पहुँचे कि साँस अटक जाती |
− | + | ज़ोर से दबाते बटन | |
टहोका लगाते जैसे दोस्त मित्तर ध्यान खींचने को कोहनी मारते हैं | टहोका लगाते जैसे दोस्त मित्तर ध्यान खींचने को कोहनी मारते हैं | ||
न चले बस तो झापड़ भी रसीद करना पड़ता रहा | न चले बस तो झापड़ भी रसीद करना पड़ता रहा | ||
ओ मेरे मीत मेरे टेपरिकॉर्डर | ओ मेरे मीत मेरे टेपरिकॉर्डर | ||
− | बच्चों की इन छुट्टियों में दिन उनके शुरू हुए | + | बच्चों की इन छुट्टियों में दिन उनके शुरू हुए भाएँ-भाएँ |
जान खाते रहे क्या करें कहाँ जाएँ | जान खाते रहे क्या करें कहाँ जाएँ | ||
− | + | फ़िल्मी गानों पर नाच करना इधर सबका शगल है | |
तुम्हारी वकत फिर से पड़ी | तुम्हारी वकत फिर से पड़ी | ||
− | + | रफ़-टफ़ इमेज लिए | |
− | गिरते पड़ते संगत करते फिर रहे हो | + | गिरते-पड़ते संगत करते फिर रहे हो |
मामा का कामा भी जाता था बच्चों को सड़क तक छोड़ने | मामा का कामा भी जाता था बच्चों को सड़क तक छोड़ने | ||
− | सारे नाज नखरे उठाता | + | सारे नाज-नखरे उठाता |
न मानता बात तो धौल पीठ पर खाता था | न मानता बात तो धौल पीठ पर खाता था | ||
पंक्ति 65: | पंक्ति 65: | ||
मामा के कामा के मुल्क में लाए गए हो | मामा के कामा के मुल्क में लाए गए हो | ||
चुपचाप कोई वरदान पा गए हो | चुपचाप कोई वरदान पा गए हो | ||
− | तभी तो कबाड़ से निकल के फिर फिर चल फिर रह हो | + | तभी तो कबाड़ से निकल के फिर-फिर चल फिर रह हो |
मिल जाएगा तुम्हें भी तुम्हारा कोई तारणहार एक दिन | मिल जाएगा तुम्हें भी तुम्हारा कोई तारणहार एक दिन | ||
देगा नया जीवन तुम खुले गले से गाना | देगा नया जीवन तुम खुले गले से गाना | ||
− | भले एक-एक | + | भले एक-एक अंग को अलग-अलग बजाना पड़े |
− | तुम्हारे अगले पिछले सब मकैनिकों को सलाम | + | तुम्हारे अगले-पिछले सब मकैनिकों को सलाम |
जीओ मेरे राजा सदा बजो मेरे बाजा | जीओ मेरे राजा सदा बजो मेरे बाजा | ||
− | |||
</poem> | </poem> |
01:58, 23 जनवरी 2009 का अवतरण
तुम्हारा साथ रहा लम्बा और भरा-भरा
उछाह के वक़्तों में मिले थे
अवसादों की तलहटियों में सुर मिलाते रहे
सुनाया तुमने जीवन का लगभग हर संभव संगीत
प्रेम में डूबे दिनों में ग़ज़लें सुनीं इतनी बार कि
मेंहदी हसन का गला बैठ गया
नींद उन दिनों उड़ी रहती थी
तुम रोमानी लोरियाँ बन बजते थे
थे तो तुम बाजा पर झँकृत होते रहे कोई बीस साल आत्मा के आसपास
तुम्हारी वफादारी के नाम पर दो बोसे आज तुम्हारी इस बजर हो चुकी देह पर
धीरे-धीरे तुम्हारा स्नायुतन्त्र जाम हो रहा था
हमें तब भी पता न चला जब बच्ची की पहली किलकारी
तुम्हारे हिरदे पर अंकित की
तुम जमा करते रहे हँसी और रुदन, तोतली बानी, खुलती जुबान,
नर्सरी राइम और मुक्त मस्त गान
माह-दर-माह साल-दर-साल
हमारी बेटी हमारी जान की
आवाज़ की वसीयत हमारे नाम की
और ख़ुद कोमा में चले गए
हमसफ़र एक वक़्त का राजदार ज़िन्दगी का
अल्मारी के ऊपर ले जा बिठाया गया
कबाड़खाने में नन्हा खरगोश पड़ा रहा बिसूरता
हमारे मामा के घर एक कामा था
छोड़ चला जाता रहा बार-बार बिफर कर चाकरी से
अपने पैरों पर खड़ा होने
लौट आता रहा मजबूर हर बार
तुम भी बाजा उतारे गए अल्मारी से कई बार
मस्ती अलमस्ती के दौर में दस्तावेज बनाने की हड़बड़ी में
जा पड़े रहे छोटे बड़े शो रूमों गली के खोखों की अल्मारियों में धूल फाँकते
पुर्जे बदलवा कर पेच कसवा कर डट जाते रहे
तान अलापने अपनी साँस भर
अपने वक़्त के सुन्दर-सुडौल सुकोमल मॉडल
इस अवस्था में भी आन पहुँचे कि साँस अटक जाती
ज़ोर से दबाते बटन
टहोका लगाते जैसे दोस्त मित्तर ध्यान खींचने को कोहनी मारते हैं
न चले बस तो झापड़ भी रसीद करना पड़ता रहा
ओ मेरे मीत मेरे टेपरिकॉर्डर
बच्चों की इन छुट्टियों में दिन उनके शुरू हुए भाएँ-भाएँ
जान खाते रहे क्या करें कहाँ जाएँ
फ़िल्मी गानों पर नाच करना इधर सबका शगल है
तुम्हारी वकत फिर से पड़ी
रफ़-टफ़ इमेज लिए
गिरते-पड़ते संगत करते फिर रहे हो
मामा का कामा भी जाता था बच्चों को सड़क तक छोड़ने
सारे नाज-नखरे उठाता
न मानता बात तो धौल पीठ पर खाता था
तुम जिस जात की मशीन हो नित नया बाना बदलती है
कबाड़ का पहाड़ खड़ा करती है
यही गनीमत है मेरे प्यारे बाजा
जन्म ले जापान में तुम मेरे देश आ पहुँचे हो
मामा के कामा के मुल्क में लाए गए हो
चुपचाप कोई वरदान पा गए हो
तभी तो कबाड़ से निकल के फिर-फिर चल फिर रह हो
मिल जाएगा तुम्हें भी तुम्हारा कोई तारणहार एक दिन
देगा नया जीवन तुम खुले गले से गाना
भले एक-एक अंग को अलग-अलग बजाना पड़े
तुम्हारे अगले-पिछले सब मकैनिकों को सलाम
जीओ मेरे राजा सदा बजो मेरे बाजा