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19:57, 23 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
यह आखिरी भ्रम है
दस्ते पर हाथ फेरते हुए मैंने कहा
तब तक इसी तरह
बातों में चलते रहो
इसके बाद...
वादों की दुनिया में
धोखा खाने के लिए
कुछ भी नहीं होगा
और कल जब भाषा...
भूख का हाथ छुड़ाकर
चमत्कारों की ओर वापस चली जाएगी
मैं तुम्हें बातों से उठाकर
आँतों में फेंक दूँगा
वहाँ तुम...
किसी सही शब्द की बगल में
कविता का समकालीन बनकर
खड़े रहना
दस्ते पर हाथ फेरते हुए
मैंने चाकू से कहा