भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पेड़ की तरह / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश जोशी |संग्रह=एक दिन बोलेंगे पेड़ / राजेश ज...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:32, 24 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
पेड़ की तरह सोचता हूँ
पेड़ भर
ऊँचा उठकर।
पेड़ भर सोचता हूँ
पेड़ भर
चौड़ा होकर।
इसी से
जंगल नाराज़ है।