भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
'''रचनाकार:''' [[केदारनाथ अग्रवाल]] | '''रचनाकार:''' [[केदारनाथ अग्रवाल]] | ||
<pre style="overflow:auto;height:21em;"> | <pre style="overflow:auto;height:21em;"> | ||
− | + | जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है | |
− | + | तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है | |
− | + | जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है | |
− | + | जो रवि के रथ का घोड़ा है | |
− | + | वह जन मारे नहीं मरेगा | |
− | + | नहीं मरेगा | |
− | + | जो जीवन की आग जला कर आग बना है | |
− | + | फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है | |
− | + | जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है | |
− | + | जो युग के रथ का घोड़ा है | |
− | + | वह जन मारे नहीं मरेगा | |
− | + | नहीं मरेगा | |
</pre> | </pre> | ||
<!----BOX CONTENT ENDS------> | <!----BOX CONTENT ENDS------> | ||
</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div> | </div><div class='boxbottom'><div></div></div></div> |
04:46, 24 जनवरी 2009 का अवतरण
सप्ताह की कविता
शीर्षक: जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
रचनाकार: केदारनाथ अग्रवाल
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है जो रवि के रथ का घोड़ा है वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा जो जीवन की आग जला कर आग बना है फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है जो युग के रथ का घोड़ा है वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा