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"विडम्बना (कविता लिखने की कोशिश में) / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

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भरोसे की आँच में
झूठ
सोना बन चमकने लगा
और सच
एक कोने में
मायूस खड़ा
जोहता रहा बाट
खरा साबित होने की