"रघुबर बाल छबि कहौं बरनि / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} <poem> '''राग केदारा''' रघुबर बाल छबि कहौं ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
पुन्यफल अनुभवति सुतहि बिलोकि दसरथ-घरनि | | पुन्यफल अनुभवति सुतहि बिलोकि दसरथ-घरनि | | ||
बसति तुलसी-हृदय प्रभु-किलकनि ललित लरखरनि || | बसति तुलसी-हृदय प्रभु-किलकनि ललित लरखरनि || | ||
+ | |||
नेकु बिलोकि धौं रघुबरनि | | नेकु बिलोकि धौं रघुबरनि | | ||
चारु फल त्रिपुरारि तोको दिये कर नृप-घरनि || | चारु फल त्रिपुरारि तोको दिये कर नृप-घरनि || | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 30: | ||
चरित निरखत बिबुध तुलसी ओट दै जलधरनि | | चरित निरखत बिबुध तुलसी ओट दै जलधरनि | | ||
चहत सुर सुरपति भयो सुरपति भये चहै तरनि || | चहत सुर सुरपति भयो सुरपति भये चहै तरनि || | ||
+ | </poem> |
15:22, 27 जनवरी 2009 का अवतरण
राग केदारा
रघुबर बाल छबि कहौं बरनि |
सकल सुखकी सींव, कोटि-मनोज-सोभाहरनि ||
बसी मानहु चरन-कमलनि अरुनता तजि तरनि |
रुचिर नूपुर किङ्किनी मन हरति रुनझुनु करनि ||
मञ्जु मेचक मृदुल तनु अनुहरति भूषन भरनि |
जनु सुभग सिङ्गार सिसु तरु फर्यो है अदभुत फरनि ||
भुजनि भुजग, सरोज नयननि, बदन बिधु जित्यो लरनि |
रहे कुहरनि सलिल, नभ, उपमा अपर दुरि डरनि ||
लसत कर-प्रतिबिम्ब मनि-आँगन घुटुरुवनि चरनि |
जनु जलज-सम्पुट सुछबि भरि-भरि धरति उर धरनि ||
पुन्यफल अनुभवति सुतहि बिलोकि दसरथ-घरनि |
बसति तुलसी-हृदय प्रभु-किलकनि ललित लरखरनि ||
नेकु बिलोकि धौं रघुबरनि |
चारु फल त्रिपुरारि तोको दिये कर नृप-घरनि ||
बाल भूषन बसन, तन सुन्दर रुचिर रजभरनि |
परसपर खेलनि अजिर, उठि चलनि, गिरि गिरि परनि ||
झुकनि, झाँकनि, छाँह सों किलकनि, नटनि हठि लरनि |
तोतरी बोलनि, बिलोकनि, मोहनी मनहरनि ||
सखि-बचन सुनि कौसिला लखि सुढर पासे ढरनि |
लेति भरि भरि अंक सैन्तति पैन्त जनु दुहु करनि ||
चरित निरखत बिबुध तुलसी ओट दै जलधरनि |
चहत सुर सुरपति भयो सुरपति भये चहै तरनि ||