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"मैं-तुम / सरोज परमार" के अवतरणों में अंतर
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14:22, 28 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
मैं कहती रही
तुम बहते रहे
कगार ढहते रहे
मैं पीती रही
अंजुरी भर-भर.
तुम कहने लगे
मैं बहने लगी
तुम सरकने लगे
तुम भगने लगे
मैं बिफरती रही
मैं बिखरती रही
सचमुच.