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                             _Kush Sharma
 
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10:46, 31 जनवरी 2009 का अवतरण

दर्द की बूँद हूँ,समंदर होने की दूआयें ना दे. चिंगारी-ए-इश्क़ हूँ,मुझे हुस्न की हवाएँ न दे.

वक़्त के हाल पे हूँ जल्दी ही गुज़र जाऊँगा, मुझ से घबरा के,फना होने की बददुआयं न दे.

गये वक़्त तो, वापस नही आते हैं कभी, उन्हें बुलाने के लिए, दर्द की सदायें न दे.

ये तो ज़ालिम हैं रंग-ओ-बू से क्या लेना इनको, चमन से कह दे इन्हें, अपनी वफाएं न दे.

                           _Kush Sharma
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