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"कितनी हलचल है / नरेन्द्र जैन" के अवतरणों में अंतर

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01:13, 2 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

कितनी हलचल है
दीवारों पर डोलती पेड़ों की छाया
परछाइयों का जीवन शुरू होता है
अन्तरिक्ष की सीध में उड़ता हुआ
जाता है सहसा एक पक्षी
छोड़ता हुआ अपनी भाषा का
अन्तिम शब्द

अभी-अभी गुज़रा है
एक सायकल सवार
लोहे की घण्टी बजी है
पहियों की लगातार फैलती
जालीदार छाया सड़क को ढँक
लेती है

बरसों पुरानी दीवार पर
नया-नया रंग महकता है
मुंडेर पर रखे गमले से
ताज़ा पानी बूँद-बूँद टपकता है

कितनी हलचल है
आवाज़ में बहुत-सी आवाज़ों का
मेल है
कहीं प्यार की बातचीत है
गिरते पानी का शोर है
तारों पर टँगे कपड़ों की फड़फड़ाहट है

दुनिया में
पहली आँख खोलने वाले बच्चे का
रुदन है
कितनी हलचल है