भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तो मैं उठा / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेणु गोपाल |संग्रह= }} <poem> अपनी ही राख में से उठा कर...)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:46, 2 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

अपनी ही राख में से
उठा करता था
फ़ीनिक्स

कहानी में हर बार

जब
नहीं उठा वह
इस बार

तो
मैं उठा
नई कहानी लिखने के लिए।