भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कितनी नावों में कितनी बार / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (कविता का नाम जोड़ा है) |
छो (कवितओं के नाम जोड़े) |
||
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
* [[ओ निःसंग ममेतर / अज्ञेय]] | * [[ओ निःसंग ममेतर / अज्ञेय]] | ||
* [[ओ एक ही कली की / अज्ञेय]] | * [[ओ एक ही कली की / अज्ञेय]] | ||
+ | * [[कि हम नहीं रहेंगे / अज्ञेय]] | ||
+ | * [[उलाहना / अज्ञेय]] | ||
+ | * [[पक्षधर / अज्ञेय]] |
17:01, 18 जनवरी 2008 का अवतरण
कितनी नावों में कितनी बार
रचनाकार | अज्ञेय |
---|---|
प्रकाशक | भारतीय ज्ञानपीठ |
वर्ष | 1983 (चौथा संस्करण) |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 103 |
ISBN | |
विविध | 1962-66 की कविताएँ |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- उधार / अज्ञेय
- सन्ध्या-संकल्प / अज्ञेय
- प्रातः संकल्प / अज्ञेय
- कितनी नावों में कितनी बार (कविता) / अज्ञेय
- यह इतनी बढ़ी अनजानी दुनिया / अज्ञेय
- निरस्त्र / अज्ञेय
- जीवन / अज्ञेय
- समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय
- ओ निःसंग ममेतर / अज्ञेय
- ओ एक ही कली की / अज्ञेय
- कि हम नहीं रहेंगे / अज्ञेय
- उलाहना / अज्ञेय
- पक्षधर / अज्ञेय