"ग़रीबदास / प्रफुल्ल कुमार परवेज़" के अवतरणों में अंतर
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रफुल्ल कुमार परवेज़ |संग्रह=संसार की धूप / प्र...) |
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
उसे क्या करना चाहिए | उसे क्या करना चाहिए | ||
वह क्या कर जाता है | वह क्या कर जाता है | ||
− | + | वे लोग जो ग़रीब दास को | |
इस मुकाम से उस मुकाम पर | इस मुकाम से उस मुकाम पर | ||
हाँक रहे हैं | हाँक रहे हैं | ||
पंक्ति 37: | पंक्ति 37: | ||
आँक रहे हैं | आँक रहे हैं | ||
कुल मिलाकर इस वक्त | कुल मिलाकर इस वक्त | ||
− | ग़रीब दास बाकी धर्मों के ख़िलाफ़ धर्म है | + | ग़रीब दास |
+ | बाकी धर्मों के ख़िलाफ़ धर्म है | ||
मुल्क के ख़िलाफ़ सूबा है | मुल्क के ख़िलाफ़ सूबा है | ||
− | सूबे के ख़िलाफ़ जात है | + | सूबे के ख़िलाफ़ ज़िला है |
+ | ज़िले के ख़िलाफ गाँव है | ||
+ | |||
+ | गाँव के ख़िलाफ जात है | ||
उसे नहीं मालूम | उसे नहीं मालूम | ||
− | उस मुख़ाल्फ़त | + | उस मुख़ाल्फ़त के पीछे |
किसका हाथ है | किसका हाथ है | ||
</poem> | </poem> |
21:15, 8 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
गरीब दास
जिस सड़क पर रवाना है
उसे नहीं मालूम
यह सड़क कहाँ जाती है
आहिस्ता-आहिस्ता
ख़ुलती हुई पट्टियों के इस दौर में
उसे नहीं मालूम
उसकी आँखों पर कितनी पट्टियों का सिलसिला
अभी शेष है
फिलहाल
उसकी ही तरह
उसी सड़क पर चलता हुआ
लगभग
पूरा देश
चलते-चलते
ग़रीबदास उठता है गिरता है
गिड़ग़िड़ाता है
लगातार हाँके जाने पर
बौख़लाया हुआ ग़रीबदास
नहीं जानता
उसे क्या करना चाहिए
वह क्या कर जाता है
वे लोग जो ग़रीब दास को
इस मुकाम से उस मुकाम पर
हाँक रहे हैं
अपना-अपना फ़ायदा बराबर
आँक रहे हैं
कुल मिलाकर इस वक्त
ग़रीब दास
बाकी धर्मों के ख़िलाफ़ धर्म है
मुल्क के ख़िलाफ़ सूबा है
सूबे के ख़िलाफ़ ज़िला है
ज़िले के ख़िलाफ गाँव है
गाँव के ख़िलाफ जात है
उसे नहीं मालूम
उस मुख़ाल्फ़त के पीछे
किसका हाथ है