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"उम्मीद / अविनाश" के अवतरणों में अंतर

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<Poem>सर से पानी सरक रहा है आंखों भर अंधेरा
 
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उम्मीदों की सांस बची है होगा कभी सबेरा
 
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दुर्दिन में है देश शहर सहमे सहमे हैं
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रोज़ रोज़ कई वारदात कोई न कोई बखेड़ा
 
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पूरी रात अगोर रहे थे खाली पगडंडी
 
पूरी रात अगोर रहे थे खाली पगडंडी
 
 
सुबह हुई पर अब भी है सन्नाटे का घेरा
 
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सबके चेहरे पर खामोशी की मोटी चादर
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अब भी पूरी बस्ती पर है गुंडों का पहरा
 
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भूख बड़े सह लेंगे, बच्चे रोएंगे रोटी रोटी
 
भूख बड़े सह लेंगे, बच्चे रोएंगे रोटी रोटी
 
 
प्यास लगी तो मांगेंगे पानी कतरा कतरा
 
प्यास लगी तो मांगेंगे पानी कतरा कतरा
 
  
 
अब तो चार क़दम भर थामें हाथ पड़ोसी का
 
अब तो चार क़दम भर थामें हाथ पड़ोसी का
 
 
जलते हुए गांव में साथी क्या तेरा क्या मेरा</poem>
 
जलते हुए गांव में साथी क्या तेरा क्या मेरा</poem>

11:47, 12 फ़रवरी 2009 का अवतरण

सर से पानी सरक रहा है आंखों भर अंधेरा
उम्मीदों की सांस बची है होगा कभी सबेरा

दुर्दिन में है देश शहर सहमे सहमे हैं
रोज़ रोज़ कई वारदात कोई न कोई बखेड़ा

पूरी रात अगोर रहे थे खाली पगडंडी
सुबह हुई पर अब भी है सन्नाटे का घेरा

सबके चेहरे पर खामोशी की मोटी चादर
अब भी पूरी बस्ती पर है गुंडों का पहरा

भूख बड़े सह लेंगे, बच्चे रोएंगे रोटी रोटी
प्यास लगी तो मांगेंगे पानी कतरा कतरा

अब तो चार क़दम भर थामें हाथ पड़ोसी का
जलते हुए गांव में साथी क्या तेरा क्या मेरा