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"सपने / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर

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बस यूँ ही  
 
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उतर आते हैं
 
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कभी ना सच होने के लिए !
 
कभी ना सच होने के लिए !
 
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19:23, 12 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

शबनम के कुछ कतरे
यादों के जाल में

धीरे से
चुपके से
बस यूँ ही

आँखों में
उतर आते हैं

कभी ना सच होने के लिए !