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"तितलियाँ / रघुवंश मणि" के अवतरणों में अंतर

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22:55, 16 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

पंख फड़फड़ाती उड़ती हैं तितलियाँ
रोककर अपने पर एकाएक
हो जाती हैं आँखों से ओझल

इन्हें पकड़ना कोई कठिन नहीं
अगर ये फूलों पर बैठी हों

मेरे कोट पर आकर बैठ जाती है
मटमैली सफ़ेद या चमकीली तितली
भूल से या शायद आश्वस्त भाव से

घर नहीं होते हैं तितलियों के,
वे फूलों पर ही सो जाती हैं
छत्ते नहीं बनाती हैं शहद के

खुली वादियों में अक्सर
रंग बिखेरती हैं तितलियाँ
वातावरण को ख़ुशनुमा बनातीं।