भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आभार / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=येव्गेनी येव्तुशेंको |संग्रह=धूप खिली थी और रि...)
(कोई अंतर नहीं)

19:14, 23 फ़रवरी 2009 का अवतरण


अपने पुत्र की चारपाई का
कम्बल थोड़ा उठाकर
उसने कहा- सो गया है
और बुझा दी बत्ती छत पर लगी
फिर गाउन उसका गिर गया
धीमे से कुर्सी पर

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय