भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"झनकारो झनकारो झनकारो / कुमाँऊनी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=कुमाँऊनी }} <poem> झनकारो झन...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:07, 24 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
झनकारो झनकारो झनकारो
गौरी प्यारो लगो तेरो झनकारो - २
तुम हो बृज की सुन्दर गोरी, मैं मथुरा को मतवारो
चुंदरि चादर सभी रंगे हैं, फागुन ऐसे रखवारो।
गौरी प्यारो…
सब सखिया मिल खेल रहे हैं, दिलवर को दिल है न्यारो
गौरी प्यारो…
अब के फागुन अर्ज करत हूँ, दिल कर दे मतवारो
गौरी प्यारो…
भृज मण्डल सब धूम मची है, खेलत सखिया सब मारो
लपटी झपटी वो बैंया मरोरे, मारे मोहन पिचकारी
गौरी प्यारो…
घूंघट खोल गुलाल मलत है, बंज करे वो बंजारो
गौरी प्यारो लगो तेरो झनकारो -२