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बेगुनाहों की लाशों पर | बेगुनाहों की लाशों पर |
09:18, 28 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
बना डालो मन्दिर
बेगुनाहों की लाशों पर
बना डालो मन्दिर
इस देश की कीमत पर
बना डालो मन्दिर
हिन्दुओं की जगाने के लिए
लाखों मन्दिर भी जिन्हें जगा न सके
खून से सनी भव्य इमारत
शायद जगा दे इन्हें
और तुम्हें भी
जिन्हें जगा न सकी गाँधी की शहादत
कृष्ण की बाँसुरी भी जिन्हें जगा न सके
रामृष्ण परमहंस भी जिन्हें उठा न सके
उन्हें उठाने के लिए
दो चार मसि्जदें और गिरान पड़ें
तो गिराओं निःसंकोच
शर्त यह है मगर
जगने की हो गारंटी
और उठाने वाले खुद उठे हों
अफसोस इस बात का है
सोया हुआ दूसरे को क्या उठाएगा
जब यह काम जागे हुए न कर सके
जो काम जोड़ने वालों से न हुआ
उसे तोड़ने वाले क्या कर पाएँगे?