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"सर झुकओगे तो पत्थर / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।  
 
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सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बु, ज़मीनो-आस्माँ,  
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सब उसी के हैं, हवा, खुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,  
 
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
 
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
 
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20:49, 1 मार्च 2009 का अवतरण

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा ।

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा ।

कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।

मैं खुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।

सब उसी के हैं, हवा, खुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।