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23:14, 4 मार्च 2009 के समय का अवतरण

बात में दहशत
बे-बात में भी दहशत
कुछ हो शहर में
तो भी
कुछ न हो तो भी

चैन न दिन में
न रैन में

मौसम गुनगुनाए तो भी
बरसाए तो भी
शहनाई हो तो भी
न हो तो भी
हंसी आए मस्त तो भी
बेहंसी में भी

गजब ही है भाई
न्यूजरूम !