भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आरती युगलकिशोर की कीजै / आरती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }}<poem> आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन न्यौछावर की...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:54, 5 मार्च 2009 का अवतरण
रचनाकार: |
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन न्यौछावर कीजै॥टेक॥
गौरश्याम मुख निरखत लीजै। हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरे मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन की सेज फूलन की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
मोरमुकुट कर मुरली सोहै। नटवर कला देखि मन मोहै॥
कंचनथार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवर धारी। आरती करें सकल ब्रज नारी॥
नन्दनन्दन बृजभानु किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥