भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खुद से जुदाई / श्याम सखा 'श्याम'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम' }} <Poem> गर खुदा खुद से जुदाई दे को...)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:06, 10 मार्च 2009 के समय का अवतरण

गर खुदा खुद से जुदाई दे
कोई क्यों अपना दिखाई दे

काश मिल जाए कोई अपना
रंजो-ग़म से जो रिहाई दे

जब न काम आई दुआ ही तो
कोई फिर क्योंकर दवाई दे

ख़्वाब बेगाने न दे मौला
नींद तू बेशक पराई दे

तू न हातिम या फरिश्ता है
कोई क्यों तुझको भलाई दे

डूबने को हो सफीना जब
क्यों किनारा तब दिखाई दे

आँख को बीनाई दे ऐसी
हर तरफ़ बस तू दिखाई दे

साथ मेरे तू अकेला हो
अपनी ही बस आश्नाई दे