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"रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ / बिहारी" के अवतरणों में अंतर

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23:31, 10 मार्च 2009 का अवतरण

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ।
प्रेम छकी रसबस अलसाड़ी, जाणे कमलकी पाँखड़ियाँ॥
सुंदर रूप लुभाई गति मति, हो गईं ज्यूँ मधु माँखड़ियाँ।
रसिक बिहारी वारी प्यारी, कौन बसी निस काँखड़ियाँ॥