भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"विस्मृति / राजुला शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजुला शाह |संग्रह=परछाईं की खिड़की से / राजुला ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:20, 12 मार्च 2009 के समय का अवतरण

बूँद की बड़ी-सी परछाईं
उस छाया में चिपके तिनके आर-पार
लड़खड़ाता भूरा दरवाजा
रुक गया सिरे पर
भूरे तने वाले
बरसते छाते से
कुछ लोग
तन गये
यहाँ वहाँ
लड़खड़ाते
उस दरवाजे के आसपास
बूँद पर फिसले
सँभले छाया पर
और टिक गये
मन ही मन.........