भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इस शहर में / राजुला शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजुला शाह |संग्रह=परछाईं की खिड़की से / राजुला ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:22, 12 मार्च 2009 के समय का अवतरण

एक गलत समय
और कितना गलत होगा अब
कोई सवाल सही नहीं इस समय
अपेक्षाएँ सभी गलत
दोस्त से दोस्ती की,
अपनों से प्रेम की,
सपने भी सब गलत
समय यह शिकायत के लिए
सिरे से गलत।
किसकी शिकायत किससे;
एक अप्रिय सच,
एक अवांछित चुप्पी,
गलत होगा बोलना
कुछ भी इस शहर में
जहाँ बातें होती हों इशारों में
आवाज काफी होगी तुम्हारी ताली की
एक हाथ से न बजती हो तो
दो हाथों से बजा सकते हो
बेशक वह अब भी सुनी जाती है
इस शहर में-
जहाँ बहुत अमन है
बहुत चैन है।