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"युद्ध पर / सुन्दरचन्द ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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16:16, 14 मार्च 2009 के समय का अवतरण

युद्ध पर नया क्या लिखा जाए
इसमें मरते हैं नौजवान

एक हारता दूसरा जीतता है
कभी-कभी कोई नहीं हारता कोई नहीं जीतता
दोनों कपड़े झाड़ते ख़ाली हाथ लौट जाते हैं

क्या लिखा जाए युद्ध पर
जब हमें लगा कि उस पर सब कुछ
लिखा जा चुका है
उसके न होने के समझ आ चुके थे जब
कितने ही कारण
तभी हुआ एक और युद्ध
पिछले युद्धों से ज़्यादा बचकाना