भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"यह ऊब है / ब्रज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रज श्रीवास्तव |संग्रह= }} <Poem> यह ऊब है... जिसने बद...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:19, 23 मार्च 2009 का अवतरण
यह ऊब है...
जिसने बदलाव ज़रूरी किए सबके लिए
यह प्रकृति है
जिसने किसी की ऊब का रखा ध्यान
और बदलते रहे मौसम
जगहें बदलती रहीं भूकम्प की
आसमान के मंच पर
कभी इन्द्रधनुष और कभी धूमकेतु
करते रहे अभिनय