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"गाय / धर्मेन्द्र पारे" के अवतरणों में अंतर

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स्कूल बन्द होने पर
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यह गाय सिर्फ़
बहुत ख़ुश होते हैं बच्चे
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दूध नहीं थी हमारे लिए
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उपला कंडा भी नहीं थी
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धर्म पूजा भर नहीं थी
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यह गाय
  
इतवार ख़ुशी का दिन
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चमड़ा तो कभी नहीं थी
होता है उनका
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मेरा बचपन बीता था उस
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गा-गा, लो-लो के साथ
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जब जंगल जाती थी यह
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इसकी बछिया के साथ मैं भी रम्भाता था
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उसकी आँखों का भय और उदासी
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मेरी आँखों में उतर आता था
  
कैरियाँ पक जाने पर
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इसका बच्चा मरा था जब
शिक्षकों के नाम ले-ले लेकर
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तीन दिनों तक कुछ नहीं खाया था इसने
पत्थर फ़ेंकते हैं वे
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और माँ ने मुझे बताया था
और बहुत आह्लादित होते हैं
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गाय को नदी के पानी में अपने मृत
बच्चे
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बच्चे की परछाई दिखती है
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उन तीन दिनों में मैं भी
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टुकुर-टुकुर कई बार
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जाकर इसकी आँखें देकता
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रहा था
  
बच्चों की दुनिया में
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कभी नदी पर जाकर परछाईं खोजता था
कई-कई बुरे नाम होते हैं
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और सचमुच गाय की आँखों में
शिक्षकों और पाठों के
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मुझे बच्चा दीखता था
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और मैं सहम जाता था
  
दो महिने के छुट्टियों में
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इस गाय से मेरा रिश्ता
अखिल ब्रह्माण्ड के
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किसी आन्दोलन के तहत नहीं था
शहंशाह होते हैं वे
+
पर माफ़ कीजिए
बंद स्कूल देख-देख
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जैसे अपनों से करता है कोई प्रेम
बहुत नाचते हैं बच्चे
+
वैसा प्रेम मेरा था
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यह क्या छुपाने की बात है?
 
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23:16, 28 मार्च 2009 का अवतरण

यह गाय सिर्फ़
दूध नहीं थी हमारे लिए
उपला कंडा भी नहीं थी
धर्म पूजा भर नहीं थी
यह गाय

चमड़ा तो कभी नहीं थी
मेरा बचपन बीता था उस
गा-गा, लो-लो के साथ
जब जंगल जाती थी यह
इसकी बछिया के साथ मैं भी रम्भाता था
उसकी आँखों का भय और उदासी
मेरी आँखों में उतर आता था

इसका बच्चा मरा था जब
तीन दिनों तक कुछ नहीं खाया था इसने
और माँ ने मुझे बताया था
गाय को नदी के पानी में अपने मृत
बच्चे की परछाई दिखती है
उन तीन दिनों में मैं भी
टुकुर-टुकुर कई बार
जाकर इसकी आँखें देकता
रहा था

कभी नदी पर जाकर परछाईं खोजता था
और सचमुच गाय की आँखों में
मुझे बच्चा दीखता था
और मैं सहम जाता था

इस गाय से मेरा रिश्ता
किसी आन्दोलन के तहत नहीं था
पर माफ़ कीजिए
जैसे अपनों से करता है कोई प्रेम
वैसा प्रेम मेरा था
यह क्या छुपाने की बात है?