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"शहर के लोग / प्रभात त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

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18:21, 30 मार्च 2009 का अवतरण

इस शहर के लोगों को
एक ही कष्ट है यारो!
कि यह शहर
सिरे से भष्ट्र है यारो!

लोग यह बात
इस तरह कहते हैं
जैसे यहाँ नहीं,
कही और रहते हैं।