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"एक आदमी / प्रभात त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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18:25, 30 मार्च 2009 के समय का अवतरण
एक आदमी सिर पर पत्थर रखकर जा रहा था
उसका दूसरा मतलब यह भी है
कि वह सिर पर ईश्वर रख कर जा रहा था
तीसरा मतलब भी है
कि वह जा रहा था बाजार
भगवान की मूरत बेचने
एक आदमी जेठ की तीखी धूप में
पत्थर के टुकड़ों से भरे भागते ट्रक में
सोया था चुपचाप
दूसरा मतलब यह भी है
वह एक विशाल पत्थर को
टुकड़े- टुकड़े करता रहेगा
जीवन- भर
एक छोटी सी शांत नींद के लिए
ईश्वर निर्मित पत्थर के नीचे
पत्थर निर्मित ईश्वर के नीचे
सदियों से दबा एक आदमी
लिखता है अपने पुण्य, अपने पाप
इसका जो चाहे वो मतलब
आप खुद निकालें माईं बाप!