भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पुकारता चला हूँ मै / मेरे सनम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: पुकारता चला हूँ मै, गली-गली बहार की, बस, एक छाँव जुल्फ़ की, बस, एक नि...)
(कोई अंतर नहीं)

10:09, 1 अप्रैल 2009 का अवतरण

पुकारता चला हूँ मै,

गली-गली बहार की,

बस, एक छाँव जुल्फ़ की,

बस, एक निगाह प्यार की,

पुकारता चला हँ मै,

गली-गली बहार की,

बस, एक छाँव जुल्फ़ की,

बस एक निगाह प्यार की,

पुकारता चला हँ मैं,

ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की,

यही तो बात हो रही है काम की,

कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरह,

कोइ नज़र तो होगी मेरे नाम की,

पुकारता चला हूँ मै,

गली-गली बहार की,

बस, एक छाँव जुल्फ़ की,

बस, एक निगाह प्यार की,

पुकारता चला हूँ मै,

सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?

घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे,

रही यही लगन तो ऎ दिले जवाँ,

असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,

पुकारता चला हूँ मै,

गली-गली बहार की,

बस, एक छाँव जुल्फ़ की,

बस, एक निगाह प्यार की,

पुकारता चला हूँ मै।