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"दादा / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

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पिता अपने भाई-बहनों में
सबसे बड़े हैं सो दादा कहलाए
सो हम बच्चों के लिए भी दादा ही हुए

सबसे बड़े होने की वजह से
सबसे पहले उनके हिस्से में आया
सितार बजाने का कौशल
सो हुए सबसे पहले वे ही निष्णात
सो मेरे और मेरे बच्चे के हिस्से में भी आई
सितार थामने की कला

थामने की कला
जी हाँ!
थामने की
क्योंकि उनके रहते असंभव है कह सकना कि
`हमें सितार बजाना आता है´
दरअसल उनके अनुसार
इक उम्र भी कम है साज़ को साध्ने के लिए

हाँ! तो
दादा का एक दिन अकेला हो जाना
समूचे परिवार के लिए शोक में डूबना था
मगर ऐसे में भी वे अकेले दिखना नहीं चाहते थे
आए पास और आकर थपथपाया कंधा सबका

बड़े लोगों के पास
क्या बहुत लंबा सोख़्ता काग़ज़ होता है
जो जज़्ब कर लेते हैं आँसुओं का सैलाब ?

हरिकिशन सोनी,श्रीराम गद्रे,पूरन सिंह चौहान
जैसे गुमनाम कलाकार-शिष्य
उनकी अदृश्य सूची के
वे नाम हैं जिन्हें शायद दिए हों उन्होंने गुरुमंत्र

सब उनके सामने झुकते हैं और
इस तरह खुद को ऊंचा महसूस कर जाते हैं घर से

एक वटवृक्ष
हमारा सायबान है
हमें पता ही न चला
दूर गगन के पंछी आते जब प्रवास पर
तब ही हमें पता चलता

अभी-अभी
कुछ कहते-कहते उन्होंने कहा है
’मैं हमेशा के लिए नहीं हूं´ और
यह सुनकर
हम हैं कि घबराए हुए कि अब
हमारे बड़े होने का वक़्त आया ।