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"पोस्टमार्टम के वक़्त / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

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मल्टीनेशनल कंपनी का यह विज्ञापन
दरअसल सांस्कृतिक आक्रमण के तहत एक वार है हम पर

इसी तरह इसे प्रतिक्रियाहीन होकर देखना या
इसके आघात को समझते हुए भी चुपचाप झेल जाना
एक मौन सहमति है
अपने देस की
विरासत,परंपरा और कला की हत्या में साझीदार होने की

भविष्य में पोस्टमार्टम के वक़्त
जब देखा जाएगा किस-किसके कितने गुनाह दर्ज हैं
इस देस के
रंग-बिरंगे परिधनोंं पर कालिख पोतने में
तब यह भी ध्यान रखा जाएगा
किस-किसने तटस्थ होकर देखा था
जगमगाता मदमस्त कर देने वाला यह विज्ञापन ।