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"हवा पर नज़र / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर
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नफ़रत
अपनी आंखों में
आग लिए आई
ठीक वहीं पर
प्रेम खड़ा था
आँखों में पानी लिए
सवाल
अब सिर्फ़
हवा के रूख का था ।