गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन
1 byte added
,
16:31, 5 अप्रैल 2009
जानि गौरि अनुकूल, सिय हिय हरषु न जाय कहि |
मंजुल मंगल मूल, बाम अंग फरकन लगे ||
Anonymous user
59.95.209.174