"मैं हूँ तीस्ता नदी ! / शार्दुला नोगजा" के अवतरणों में अंतर
अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शार्दुला नोगजा }} <poem> मैं हूँ तीस्ता नदी, गुड़मुड...) |
|||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
मुझ से हंस के कहा इक बुरुंश फूल ने | मुझ से हंस के कहा इक बुरुंश फूल ने | ||
अपनी चांदी की पायल मुझे दे गयी | अपनी चांदी की पायल मुझे दे गयी | ||
− | + | मुझ से बातें करी जब नरम धूप ने । | |
मैं लचकती चली, थकती, रुकती चली | मैं लचकती चली, थकती, रुकती चली |
12:13, 11 अप्रैल 2009 का अवतरण
मैं हूँ तीस्ता नदी, गुड़मुड़ी अनछुई
मेरा अंग अंग भरा, हीरे-पन्ने जड़ा
मैं पहाड़ों पे गाती मधुर रागिनी
और मुझ से ही वन में हरा रंग गिरा ।
'पत्थरों पे उछल के संभलना सखि'
मुझ से हंस के कहा इक बुरुंश फूल ने
अपनी चांदी की पायल मुझे दे गयी
मुझ से बातें करी जब नरम धूप ने ।
मैं लचकती चली, थकती, रुकती चली
मेरे बालों को सहला गयी मलयजें
मुझ से ले बिजलियाँ गाँव रोशन हुए
हो के कुर्बां मिटीं मुझ पे ये सरहदें ।
कितने धर्मों के पाँवों मैं धोती चली
क्षेम पूछा पताका ने कर थाम के
घंटियों की ध्वनि मुझ में आ घुल गयी
जाने किसने पुकारा मेरा नाम ले ।
झरने मुझसे मिले, मैं निखरती गयी
चीड़ ने देख मुझ में संवारा बदन
आप आये तो मुझ में ज्यों जां आ गयी
आप से मिल के मेरे भरे ये नयन ।
मैं हूँ तीस्ता नदी, गुड़मुड़ी अनछुई !