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तुमसे मिलके
खुश रहता हूँ
तुमसे मिलके

उजले लगते
धूल धूसरित मैले से दिन
तुमसे मिलके

जग से मिलते
बंजारे मेरे सब पल-छिन
तुमसे मिलके

अनायास ही
हट जाते कुंठा के छिलके
तुमसे मिलके

वात्सल्य का
एक अजब झरना सा झरता
तुमसे मिलके

मन आँगन में
तुलसी जैसा बोध उभरता
तुमसे मिलके