"कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो" के अवतरणों में अंतर
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पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत<br> | पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत<br> | ||
पाँव का चूमा लेत निपूता <br> | पाँव का चूमा लेत निपूता <br> | ||
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मेरे मन की तपन बुझावे <br> | मेरे मन की तपन बुझावे <br> | ||
मन का भारी तन का छोटा <br> | मन का भारी तन का छोटा <br> | ||
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ना जागूँ तो काटे खावे <br> | ना जागूँ तो काटे खावे <br> | ||
व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की <br> | व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की <br> | ||
− | ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी <br><br> | + | ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी! <br><br> |
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है गुणवंत बहुत चटकीलो<br> | है गुणवंत बहुत चटकीलो<br> | ||
राम भजन बिन कभी न सोता <br> | राम भजन बिन कभी न सोता <br> | ||
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सुंदरता बरने कवि कौन <br> | सुंदरता बरने कवि कौन <br> | ||
निरखत ही मन भयो अनंद<br> | निरखत ही मन भयो अनंद<br> | ||
− | ऐ सखि साजन? ना सखि चंद<br><br> | + | ऐ सखि साजन? ना सखि चंद!<br><br> |
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आँखिन से छिन होत न न्यारा <br> | आँखिन से छिन होत न न्यारा <br> | ||
आठ पहर मेरो मनरंजन<br> | आठ पहर मेरो मनरंजन<br> | ||
− | ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन <br><br> | + | ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन! <br><br> |
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वा बिनु नेक न धीरज रहै<br> | वा बिनु नेक न धीरज रहै<br> | ||
हरै छिनक में हिय की पीर<br> | हरै छिनक में हिय की पीर<br> | ||
− | ऐ सखि साजन? ना सखि नीर<br><br> | + | ऐ सखि साजन? ना सखि नीर!<br><br> |
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आये ते अँग-अँग सब फूले<br> | आये ते अँग-अँग सब फूले<br> | ||
सीरी भई लगावत छाती<br> | सीरी भई लगावत छाती<br> | ||
− | ऐ सखि साजन? ना सखि पाती<br><br> | + | ऐ सखि साजन? ना सखि पाती!<br><br> |
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23:25, 2 जून 2007 का अवतरण
रचनाकार: अमीर खुसरो
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१.
खा गया पी गया
दे गया बुत्ता
ऐ सखि साजन?
ना सखि कुत्ता!
२.
लिपट लिपट के वा के सोई
छाती से छाती लगा के रोई
दांत से दांत बजे तो ताड़ा
ऐ सखि साजन? ना सखि जाड़ा!
३.
रात समय वह मेरे आवे
भोर भये वह घर उठि जावे
यह अचरज है सबसे न्यारा
ऐ सखि साजन? ना सखि तारा!
४.
नंगे पाँव फिरन नहिं देत
पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत
पाँव का चूमा लेत निपूता
ऐ सखि साजन? ना सखि जूता!
५.
ऊंची अटारी पलंग बिछायो
मैं सोई मेरे सिर पर आयो
खुल गई अंखियां भयी आनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि चांद!
६.
जब माँगू तब जल भरि लावे
मेरे मन की तपन बुझावे
मन का भारी तन का छोटा
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा!
७.
वो आवै तो शादी होय
उस बिन दूजा और न कोय
मीठे लागें वा के बोल
ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल!
८.
बेर-बेर सोवतहिं जगावे
ना जागूँ तो काटे खावे
व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की
ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी!
९.
अति सुरंग है रंग रंगीले
है गुणवंत बहुत चटकीलो
राम भजन बिन कभी न सोता
ऐ सखि साजन? ना सखि तोता!
१०.
आप हिले और मोहे हिलाए
वा का हिलना मोए मन भाए
हिल हिल के वो हुआ निसंखा
ऐ सखि साजन? ना सखि पंखा!
११.
अर्ध निशा वह आया भौन
सुंदरता बरने कवि कौन
निरखत ही मन भयो अनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि चंद!
१२.
शोभा सदा बढ़ावन हारा
आँखिन से छिन होत न न्यारा
आठ पहर मेरो मनरंजन
ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन!
१३.
जीवन सब जग जासों कहै
वा बिनु नेक न धीरज रहै
हरै छिनक में हिय की पीर
ऐ सखि साजन? ना सखि नीर!
१४.
बिन आये सबहीं सुख भूले
आये ते अँग-अँग सब फूले
सीरी भई लगावत छाती
ऐ सखि साजन? ना सखि पाती!
१५.
सगरी रैन छतियां पर राख
रूप रंग सब वा का चाख
भोर भई जब दिया उतार
ऐ सखी साजन? ना सखि हार!
१६.
पड़ी थी मैं अचानक चढ़ आयो
जब उतरयो तो पसीनो आयो
सहम गई नहीं सकी पुकार
ऐ सखि साजन? ना सखि बुखार!
१७.
सेज पड़ी मोरे आंखों आए
डाल सेज मोहे मजा दिखाए
किस से कहूं अब मजा में अपना
ऐ सखि साजन? ना सखि सपना!
१८.
बखत बखत मोए वा की आस
रात दिना ऊ रहत मो पास
मेरे मन को सब करत है काम
ऐ सखि साजन? ना सखि राम!