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"आज नयन के बँगले में / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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आज नयन के बँगले में | आज नयन के बँगले में | ||
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संकेत पाहुने आये री सखि! | संकेत पाहुने आये री सखि! | ||
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जी से उठे | जी से उठे | ||
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और बेसुधी- | और बेसुधी- | ||
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के बन घूमें | के बन घूमें | ||
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युगल-पलक | युगल-पलक | ||
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ले चितवन मीठी, | ले चितवन मीठी, | ||
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पथ-पद-चिह्न | पथ-पद-चिह्न | ||
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चूम, पथ भूले! | चूम, पथ भूले! | ||
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दीठ डोरियों पर | दीठ डोरियों पर | ||
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माधव को | माधव को | ||
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बार-बार मनुहार थकी मैं | बार-बार मनुहार थकी मैं | ||
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पुतली पर बढ़ता-सा यौवन | पुतली पर बढ़ता-सा यौवन | ||
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ज्वार लुटा न निहार सकी मैं ! | ज्वार लुटा न निहार सकी मैं ! | ||
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दोनों कारागृह पुतली के | दोनों कारागृह पुतली के | ||
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सावन की झर लाये री सखि! | सावन की झर लाये री सखि! | ||
आज नयन के बँगले में | आज नयन के बँगले में | ||
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संकेत पाहुने आये री सखि ! | संकेत पाहुने आये री सखि ! | ||
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13:10, 14 अप्रैल 2009 का अवतरण
आज नयन के बँगले में
संकेत पाहुने आये री सखि!
जी से उठे
और बेसुधी-
के बन घूमें
युगल-पलक
ले चितवन मीठी,
पथ-पद-चिह्न
चूम, पथ भूले!
दीठ डोरियों पर
माधव को
बार-बार मनुहार थकी मैं
पुतली पर बढ़ता-सा यौवन
ज्वार लुटा न निहार सकी मैं !
दोनों कारागृह पुतली के
सावन की झर लाये री सखि!
आज नयन के बँगले में
संकेत पाहुने आये री सखि !