भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अलि रचो छंद / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[Category:सोहनलाल द्विवेदी]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
{{KKSandarbh
+
|रचनाकार=सोहनलाल द्विवेदी
|लेखक=सोहनलाल द्विवेदी
+
}}
|पुस्तक=
+
<poem>
|प्रकाशक=
+
 
|वर्ष=
+
|पृष्ठ=
+
}}
+
  
 
अलि रचो छंद<br>
 
अलि रचो छंद<br>

18:59, 14 अप्रैल 2009 का अवतरण



अलि रचो छंद

आज कण कण कनक कुंदन,

आज तृण तृण हरित चंदन,

आज क्षण क्षण चरण वंदन

विनय अनुनय लालसा है।

आज वासन्ती उषा है।



अलि रचो छंद

आज आई मधुर बेला,

अब करो मत निठुर खेला,

मिलन का हो मधुर मेला

आज अथरों में तृषा है।

आज वासंती उषा है।



अलि रचो छंद

मधु के मधु ऋतु के सौरभ के,

उल्लास भरे अवनी नभ के,

जडजीवन का हिम पिघल चले

हो स्वर्ण भरा प्रतिचरण मंद

अलि रचो छंद।