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"प्रकृति संदेश / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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पर्वत कहता शीश उठाकर,<br>
 
पर्वत कहता शीश उठाकर,<br>
 
तुम भी ऊँचे बन जाओ।<br>
 
तुम भी ऊँचे बन जाओ।<br>

19:01, 14 अप्रैल 2009 का अवतरण

पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।

समझ रहे हो क्या कहती हैं
उठ उठ गिर गिर तरल तरंग
भर लो भर लो अपने दिल में
मीठी मीठी मृदुल उमंग!

पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार,
नभ कहता है फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार!