"प्यारे भारत देश / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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प्यारे भारत देश | प्यारे भारत देश | ||
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गगन-गगन तेरा यश फहरा | गगन-गगन तेरा यश फहरा | ||
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पवन-पवन तेरा बल गहरा | पवन-पवन तेरा बल गहरा | ||
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क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले | क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले | ||
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चरण-चरण संचरण सुनहरा | चरण-चरण संचरण सुनहरा | ||
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ओ ऋषियों के त्वेष | ओ ऋषियों के त्वेष | ||
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प्यारे भारत देश।। | प्यारे भारत देश।। | ||
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वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी | वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी | ||
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प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी | प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी | ||
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उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक | उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक | ||
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मानो आँसू आये बलि-महमानों तक | मानो आँसू आये बलि-महमानों तक | ||
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सुख कर जग के क्लेश | सुख कर जग के क्लेश | ||
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प्यारे भारत देश।। | प्यारे भारत देश।। | ||
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तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे | तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे | ||
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तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे! | तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे! | ||
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राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी | राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी | ||
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काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी | काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी | ||
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बातें करे दिनेश | बातें करे दिनेश | ||
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प्यारे भारत देश।। | प्यारे भारत देश।। | ||
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जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे | जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे | ||
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हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे | हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे | ||
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सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं | सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं | ||
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काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं | काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं | ||
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श्रम के भाग्य निवेश | श्रम के भाग्य निवेश | ||
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प्यारे भारत देश।। | प्यारे भारत देश।। | ||
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वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे | वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे | ||
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उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे | उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे | ||
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बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा | बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा | ||
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जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा, | जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा, | ||
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जय-जय अमित अशेष | जय-जय अमित अशेष | ||
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प्यारे भारत देश।। | प्यारे भारत देश।। | ||
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19:20, 15 अप्रैल 2009 का अवतरण
प्यारे भारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के त्वेष
प्यारे भारत देश।।
वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक
सुख कर जग के क्लेश
प्यारे भारत देश।।
तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश
प्यारे भारत देश।।
जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं
श्रम के भाग्य निवेश
प्यारे भारत देश।।
वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
जय-जय अमित अशेष
प्यारे भारत देश।।