"महारावण / मधु संधु" के अवतरणों में अंतर
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23:33, 18 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
तामसी शक्तियों का बल
मुझे आतंकित करता है।
रावण कभी नहीं मरते
पाप कभी नहीं ढलते
बुराई अनन्त है।
मुझे पता है
रावणों के भाग्य में महाकार है
गगनचुम्बी ऊँचाई है
दस तरह की बातें करने के लिए
दस मुख
खुराफातें सोचने के लिए
दस सिर
संहार के लिए
बीस राक्षसी हाथ हैं।
कितना बड़ा झूठ है
कि
रावण मरते हैं ?
उन्हें मारने के लिए
राम की नहीं
महारावण की
आवश्यकता है।
मुझे विश्वास है
ईश्वर, प्रभु, परमेश्वर
कि तुम राम नहीं हो
रावण के सगेवाल हो
तुमने
रावण से महाकार
दुख भेजकर
अपने लिए
प्रेम- भक्ति
उपासना- श्रद्धा
बटोरी है।
तुमने सिर्फ
लेना ही सीखा है
तुम कैसे पाप, दुख, दर्द का
उन्मूलन कर सकते हो ?
फिर दुनिया
तुम्हें भूल न जाएगी ?
धरती के रामों की सुरक्षा के लिए
महारावण भी रच दो प्रभु।