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"अंधी ह राजधानी बहरी ह राजधानी / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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कुछ लोग पेट पकड़े, डमरू बजा रहे हैं | कुछ लोग पेट पकड़े, डमरू बजा रहे हैं | ||
डम-डम डिगा-डिगा , बम-लहरी ह’ राजधानी | डम-डम डिगा-डिगा , बम-लहरी ह’ राजधानी | ||
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01:07, 26 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
अंधी ह’ राजधानी, बहरी ह’ राजधानी
फुंकार मारती है, ज़हरी ह’ राजधानी
जो खोज मोतियों की, करने चले यहाँ पर
डूबे, बचे नहीं वे, गहरी ह’ राजधानी
नदियाँ बहीं लहू की, इतिहास बताता है
सदियों से झील बनी, ठहरी ह’ राजधानी
भीगा न आंसुओं से , आँचल नगरवधू का
हर साल रंग बदले , फहरी ह’ राजधानी
थामे नहीं थमेगी , इस बार बाढ़ आई
बन बिजलियाँ भले ही , घहरी ह’ राजधानी
कुछ लोग पेट पकड़े, डमरू बजा रहे हैं
डम-डम डिगा-डिगा , बम-लहरी ह’ राजधानी