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"दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'" के अवतरणों में अंतर

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दाम में लाया है "आतिश" सब्जये-ख़ते-बुतां<br>
 
दाम में लाया है "आतिश" सब्जये-ख़ते-बुतां<br>
 
सच है क्या इंसा को किस्मत का लिखा मालूम हो<br>
 
सच है क्या इंसा को किस्मत का लिखा मालूम हो<br>
 
*[http://jagjitsingh-sankalp.blogspot.com/ Bazm-E-Jagjit]
 

18:38, 3 मई 2009 का अवतरण

दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ तो क्या मालूम हो
आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो

आशिक़ों से पूछिये खूबी लबे-जाँबख्श की
जौहरी को क़द्रे-लाले-बेबहा मालूम हो

दाम में लाया है "आतिश" सब्जये-ख़ते-बुतां
सच है क्या इंसा को किस्मत का लिखा मालूम हो