भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फैशन का बुखार / श्याम सुन्दर अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सुन्दर अग्रवाल }} Category:बाल-कविताएँ <poem> टी०...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:15, 3 मई 2009 के समय का अवतरण
टी०वी० देख चुहिया को चढ़ गया,
फैशन का तेज़ बुख़ार ।
चूहे से वह कड़क के बोली,
मुझे लेकर चलो बाज़ार ।
फैंसी वस्त्र, सुंदर गहने,
मुझको तुम बनवा दो ।
फैशन शो में जाऊँगी मैं,
सबको तुम बतला दो ।।
तंग वस्त्र जब पहन चली,
तो राह में लग गया जाम ।
फैंसी सैंडल धोखा दे गये,
वह सड़क पर गिरी धड़ाम।
हाथ-पाँव तुड़वाकर दोनों,
वह जा पहुँची अस्पताल ।
दो टीके जब लगे शरीर पर,
तो बुरा हो गया हाल ।