"परसेनिलिटी का सवाल है / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
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मतलब साफ है की बेड़ा पार है | मतलब साफ है की बेड़ा पार है | ||
बुध का माउंट | बुध का माउंट | ||
− | किसी | + | किसी फ़िल्म फायनेंसर के |
पेट की तरह तना है | पेट की तरह तना है | ||
अँगूठे पर कैमरे का निशान बना है | अँगूठे पर कैमरे का निशान बना है | ||
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हाथ में बुरी तरह फैला है | हाथ में बुरी तरह फैला है | ||
हीरो बनोगे | हीरो बनोगे | ||
− | क़िस्मत में | + | क़िस्मत में ख़ूबसूरत फ़िल्मी लैला है" |
− | और सचमुच ही | + | और सचमुच ही एक दिन |
हमारा दुर्भाग्य जागा | हमारा दुर्भाग्य जागा | ||
− | और केतु हमें बम्बई | + | और केतु हमें बम्बई ले भागा |
एक शाम | एक शाम | ||
थर्ड क्लास होटल में | थर्ड क्लास होटल में | ||
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गधे को हीरो बनाऊँगा | गधे को हीरो बनाऊँगा | ||
और गधे के भीतर | और गधे के भीतर | ||
− | इंसान की आत्मा | + | इंसान की आत्मा दिखाऊँगा |
जब इंसान गधा हो सकता है | जब इंसान गधा हो सकता है | ||
तो क्या गधा इंसान नहीं | तो क्या गधा इंसान नहीं | ||
− | मिस्टर बकवास | + | मिस्टर बकवास बेहरा को जानते हो |
− | + | उन्होंने न जाने | |
कितने गधों को इंसान बना दिया | कितने गधों को इंसान बना दिया | ||
उनमें से कइयों ने | उनमें से कइयों ने | ||
जुहू में बंगला बनवा लिया | जुहू में बंगला बनवा लिया | ||
− | "मैं भी | + | "मैं भी ऐसे ही गधे की तलाश में हूँ |
जिसे मेकअप करके शेर देखा सकूं" | जिसे मेकअप करके शेर देखा सकूं" | ||
हमने सलाह दी-"तुम शेर को ही | हमने सलाह दी-"तुम शेर को ही | ||
पंक्ति 67: | पंक्ति 67: | ||
शेर को हीरो बनाएंगे | शेर को हीरो बनाएंगे | ||
तो सारा मांस वो ही खा जाएगा | तो सारा मांस वो ही खा जाएगा | ||
− | हम क्या खाएंगे" | + | हम क्या खाएंगे?" |
इस बार | इस बार | ||
मेरी फ़िल्म का नाम होगा | मेरी फ़िल्म का नाम होगा | ||
गधा मेरा यार | गधा मेरा यार | ||
− | थीम | + | थीम सांग लिखेंगे 'गधानंद झक्की' |
बोल होंगे, ढेंचू ढेंचू ढेंचू | बोल होंगे, ढेंचू ढेंचू ढेंचू | ||
दुनिया मुझको देखे | दुनिया मुझको देखे | ||
मैं दुनिया को देखूं | मैं दुनिया को देखूं | ||
− | क्यों भाई कैसा | + | क्यों भाई कैसा आइडिया है |
गधे को भी | गधे को भी | ||
− | क्या | + | क्या ग्लैमर दिया है |
भाई साहब! | भाई साहब! | ||
आज का दर्शक पल्ला नहीं | आज का दर्शक पल्ला नहीं | ||
खुल्लम खुल्ला मांगता है | खुल्लम खुल्ला मांगता है | ||
− | मैं बिल्ला पर | + | ख़ामोशी नहीं, हल्ला मंगता है |
+ | मैं बिल्ला पर फ़िल्म बनाऊंगा | ||
देश के नौजवानों को | देश के नौजवानों को | ||
जो बिल्ला नहीं सिखा पाया | जो बिल्ला नहीं सिखा पाया | ||
मैं सिखाऊंगा | मैं सिखाऊंगा | ||
− | राजकपूर ने | + | राजकपूर ने ग़लती की |
− | फ़िल्म का नाम ' | + | फ़िल्म का नाम 'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' नहीं |
− | ' | + | 'नंगम् धड़ंगम् शरीरम्' रख देता |
तो दर्शक स्वीकार कर लेता | तो दर्शक स्वीकार कर लेता | ||
तरस तो बेचारी ज़ीनत अमान पर आता है | तरस तो बेचारी ज़ीनत अमान पर आता है | ||
पंक्ति 96: | पंक्ति 97: | ||
भारतीय नारी का संस्कार टांका है | भारतीय नारी का संस्कार टांका है | ||
फिर भी लोग | फिर भी लोग | ||
− | बेचारी की | + | बेचारी की नींद हराम कर रहे हैं |
फ़िल्म में हीरो ने बदनाम किया | फ़िल्म में हीरो ने बदनाम किया | ||
बाहर लोग बदनाम कर रहे हैं | बाहर लोग बदनाम कर रहे हैं | ||
− | मैं ऐसी | + | मैं ऐसी ग़लती नहीं करुंगा |
हीरोइन के लिए | हीरोइन के लिए | ||
ख़ूबसूरत गधैया तलाशूंगा | ख़ूबसूरत गधैया तलाशूंगा | ||
पंक्ति 111: | पंक्ति 112: | ||
तुम्हारा क्या खयाल है।" | तुम्हारा क्या खयाल है।" | ||
वो बोला-"परसेनिलिटी का सवाल है | वो बोला-"परसेनिलिटी का सवाल है | ||
+ | हाथी मेरे साथी बन चुकी है | ||
वर्ना तुमको लेकर बना देता | वर्ना तुमको लेकर बना देता | ||
बाकी सब ठीक है | बाकी सब ठीक है | ||
चेहरे पर सूंड लटका देता।" | चेहरे पर सूंड लटका देता।" |
08:23, 5 मई 2009 के समय का अवतरण
आज से दर बरस पहले
न जाने कौन सी अशुभ घड़ी में
एक ज्योतिषी को हमने
अपना हाथ दिखाया था
जिसने हमें बताया था-
"शनी रेखा मणिबंध से निकल कर
मध्यमा पर चढ़ गई है
प्रतिष्ठा, धन, बंगाला और कार है
सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा को टच कर रही है
मतलब साफ है की बेड़ा पार है
बुध का माउंट
किसी फ़िल्म फायनेंसर के
पेट की तरह तना है
अँगूठे पर कैमरे का निशान बना है
शुक्र का माउंट
हाथ में बुरी तरह फैला है
हीरो बनोगे
क़िस्मत में ख़ूबसूरत फ़िल्मी लैला है"
और सचमुच ही एक दिन
हमारा दुर्भाग्य जागा
और केतु हमें बम्बई ले भागा
एक शाम
थर्ड क्लास होटल में
पिटे हुए फ़िल्म निर्माता से हो गई राम-राम
कहने लगा-"दस बरस पहले
सैक्स की देते हुए दुहाई
हामने ऐसी फ़िल्म बनाई
जो मैटर के मामले में
आज के कवियों की तरह उधार थी
मगर फ़िल्म में
चुम्बनो की भरमार थी
एक धांसू खलनायक को लेकर
हीरोइन पर ऐसा सीन फ़िल्माया
कि आलिंगन लेते ही
उसकी आंखे बाहर निकल आई
आंखे अंदर करवाई
तो पेट बाहर निकल आया
खलनायक पुण्य ले गया
पाप को हल सम्हाल रहे हैं
बाप समझकर पाल रहे हैं
आदमी ख़ुराफ़ात की जड़ है
इसलिए, मैं अगली फ़िल्म में
गधे को हीरो बनाऊँगा
और गधे के भीतर
इंसान की आत्मा दिखाऊँगा
जब इंसान गधा हो सकता है
तो क्या गधा इंसान नहीं
मिस्टर बकवास बेहरा को जानते हो
उन्होंने न जाने
कितने गधों को इंसान बना दिया
उनमें से कइयों ने
जुहू में बंगला बनवा लिया
"मैं भी ऐसे ही गधे की तलाश में हूँ
जिसे मेकअप करके शेर देखा सकूं"
हमने सलाह दी-"तुम शेर को ही
हीरो क्यों नहीं बनाते"
वो बोला-"तुम भी गधे जैसी
म-म-मेरा मतलब है
कैसी बात कर रहे हो
शेर को हीरो बनाएंगे
तो सारा मांस वो ही खा जाएगा
हम क्या खाएंगे?"
इस बार
मेरी फ़िल्म का नाम होगा
गधा मेरा यार
थीम सांग लिखेंगे 'गधानंद झक्की'
बोल होंगे, ढेंचू ढेंचू ढेंचू
दुनिया मुझको देखे
मैं दुनिया को देखूं
क्यों भाई कैसा आइडिया है
गधे को भी
क्या ग्लैमर दिया है
भाई साहब!
आज का दर्शक पल्ला नहीं
खुल्लम खुल्ला मांगता है
ख़ामोशी नहीं, हल्ला मंगता है
मैं बिल्ला पर फ़िल्म बनाऊंगा
देश के नौजवानों को
जो बिल्ला नहीं सिखा पाया
मैं सिखाऊंगा
राजकपूर ने ग़लती की
फ़िल्म का नाम 'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' नहीं
'नंगम् धड़ंगम् शरीरम्' रख देता
तो दर्शक स्वीकार कर लेता
तरस तो बेचारी ज़ीनत अमान पर आता है
जिसने आधी धोती पहन कर
शरीर ढांका है
और फ़िल्म के पर्दे पर
भारतीय नारी का संस्कार टांका है
फिर भी लोग
बेचारी की नींद हराम कर रहे हैं
फ़िल्म में हीरो ने बदनाम किया
बाहर लोग बदनाम कर रहे हैं
मैं ऐसी ग़लती नहीं करुंगा
हीरोइन के लिए
ख़ूबसूरत गधैया तलाशूंगा
उससे ओरिजिनल कैबरे करवाऊंगा
जब बदन पर कपड़े नहीं होंगे
तो क्या उतरवाऊंगा
मगर पहले
कोई ठिकाने का गधा मिले
तो काम चले
हमने कहा-" हमारे बारे में
तुम्हारा क्या खयाल है।"
वो बोला-"परसेनिलिटी का सवाल है
हाथी मेरे साथी बन चुकी है
वर्ना तुमको लेकर बना देता
बाकी सब ठीक है
चेहरे पर सूंड लटका देता।"