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"बेटी की कविता-4 / नरेश चंद्रकर" के अवतरणों में अंतर

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19:23, 5 मई 2009 के समय का अवतरण

"मेरे पैर सफ़र में हैं!"

बहुत हुलसते हुए कहती है वह

"इनकी दो उंगलियाँ
जा रही हैं सफ़र पर"

"पहली दूसरी को छोड़कर
पुनः लौट लेगी"

"सच है न पापा!"