Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=नागार्जुन
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
}}
[[Category:गीत]] <poem>
बदली के बाद खिल पड़ी धूप
 
बेतवा किनारे
 
सलोनी सर्दी का निखरा है रूप
 
बेतवा किनारे
 
रग-रग में धड़कन, वाणी है चूप
 
बेतवा किनारे
 
सब कुछ भरा-भरा, रंक है भूप
 
बेतवा किनारे
 
बदली के बाद खिल पड़ी धूप
 
बेतवा किनारे
'''(1979 में रचित)</Poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,146
edits