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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''उसकी थकान<br>
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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''अंकुर<br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[भगवत रावत]]  
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[इब्बार रब्बी]]  
 
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कोई लम्बी कहानी ही
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अंकुर जब सिर उठाता है
 
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ज़मीन की छत फोड़ गिराता है
बयान कर सके शायद
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वह जब अंधेरे में अंगड़ाता है
 
+
मिट्टी का कलेजा फट जाता है
उसकी थकान
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हरी छतरियों की तन जाती है कतार
 
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छापामारों के दस्ते सज जाते हैं
जो मुझसे
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पाँत के पाँत
 
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नई हो या पुरानी
दो बच्चों की दूरी पर
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वह हर ज़मीन काटता है
 
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हरा सिर हिलाता है
न जाने कब से
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नन्हा धड़ तानता है
 
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अंकुर आशा का रंग जमाता है।
क्या-क्या सिलते-सिलते
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हाथों में
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सुई धागा लिए हुए ही
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सो गई है
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01:15, 12 मई 2009 का अवतरण

 सप्ताह की कविता

  शीर्षक: अंकुर
  रचनाकार: इब्बार रब्बी

अंकुर जब सिर उठाता है
ज़मीन की छत फोड़ गिराता है
वह जब अंधेरे में अंगड़ाता है
मिट्टी का कलेजा फट जाता है
हरी छतरियों की तन जाती है कतार
छापामारों के दस्ते सज जाते हैं
पाँत के पाँत
नई हो या पुरानी
वह हर ज़मीन काटता है
हरा सिर हिलाता है
नन्हा धड़ तानता है
अंकुर आशा का रंग जमाता है।